सभी एकदूसरे को बधाई दे रहे हैं। हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर बधाई से ज्यादा शुभकामनाओं की ज़रुरत है। बधाई सिर्फ उनको जो अच्छी हिन्दी के साथ पत्रकारिता कर पा रहे हैं। बाकी जगह अच्छी हिन्दी की कामना ही की जा सकती है; शुभकामना दें। 30 मई 1826 को जब पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिन्दी भाषा में साप्ताहिक समाचारपत्र 'उदन्त मार्तण्ड' निकाला था तो उद्देश्य था जनसंचार की दुनिया में हिन्दी का समावेश। ब्रिटिश उपनिवेश काल में अंगरेजी का बोलबाला हुआ करता था । पत्रकारिता में हिन्दी की दुर्दशा आज इस हाल तक पहुँच गई है कि अंगरेजी का मिक्सचर बनाए बगैर समाचार तो छोड़ें, शीर्षक भी पूरा नहीं होता। ऐसा लगता है मानो हिन्दी के पास शब्द ख़त्म हो चुके हों। 'स्टूडेंट्स ने एग्जाम का बॉयकाट किया', 'गर्ल्स में पॉपुलर है मॉडर्न ऑउटफिट', 'इंटरनेशनल स्पीकर को सुनकर यूथ हुआ मोटीवेट' - ऐसी हिंगलिश पढ़ने से पहले समाचार ही छोड़ देने का मन करता है। लगता है जीभ ऐंठ जाएगी। अंगरेजी ही लिखना था तो देवनागरी में क्यों? रोमन में लिख देते- सही और पूरी अंगरेजी लिख देते। पत्रकारिता को नए आयाम देने के...