"अब कोई किसी दिव्यांग से नहीं पूछेगा कि तुमने जैवलिन क्यों उठाया" - देवेंद्र झाझड़िया * हाथ गवांने का जख्म कब का भर गया मगर लोगों ने जो जख्म दिए वो भरने का नाम नहीं लेता * सच कहूं तो खुद को सामान्य साबित करना ही चुनौती बन गयी थी * स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ खेलते हुए जब मैं पहली बार डिस्ट्रिक्ट चैंपियन बना तो इतना खुश हुआ जैसे ओलंपिक जीत लिया हो * सोच बदलें , नजरिया बदलें ; सबकी राहें आसान होंगी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ' मन की बात ' में राजगढ़ (चूरू जिला) के छोटे से गांव जैपुरिया खालसा के युवक का जिक्र करते हैं तो मानना पड़ेगा कि सचमुच ही कोई बड़ी बात होगी। सदी के महानायक जिसकी तारीफों के कसीदे काढ़ते हैं , क्रिकेट की दुनिया के सरताज सचिन तेंदुलकर जिसे मिलने के लिए आमंत्रण देते हैं वह कोई साधारण युवक तो नहीं होगा। ये अपनी धुन में रहता है , अपने ही रिकॉर्ड बनाता और तोड़ता है। खुद को ही हरा कर जीतता है। देश का इकलौता पैरा एथलीट जिसके सीने पर 2 पैरालम्पिक स्वर्ण पदक चमक रहे हैं , देवेंद्र झाझड़िया के अलावा और कौन हो सकता है ! उसक...